भीगे पन्ने

भीगे पन्नो की एक कहानी है 
आज बारिश को यूँ सुनानी है 
लिखा तो बहुत था उनपे 
उन्ही शब्दों मैं यह बह जानी है 

श्याही चाहे पकड़ न सकी 
फिर भी ख्वाबो की दुनिया अनजानी है 
कुछ बूंदे ही लगी उन्हें मिटाने
फिर भी उसे पहचान अपनी जतानी है 

उस श्याही को यूँ दाग न कहो 
इन्हें अब भी दास्ताँ जतानी है 
भीगे पन्नो की एक कहानी है 
आज बारिश को यूँ सुनानी है 

Comments

Vishal said…
Never knew you had a poet in you :)

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